सोंच रहा हूँ लिख डालूं , प्रियवर को अपने एक पाती ।
अपने मन का हाल लिखू , कह डालू दिल की सब बात ।
बहुत दिनों से मिले नहीं , न लिखी प्रेम की कोई पाती ।
कैसे बीते है ये दिन और , कैसे होगी आगे मुलाकात ।
वो भी क्या दिन थे जब , हम घंटो बाते करते थे ।
बिना बात की बात पर , हम अक्सर रूठा करते थे ।
फिर घंटो एक दूजे की , हम मान-मनोवल करते थे ।
रोज सबेरे एक दूजे से , हम सपनों की बाते करते थे ।
फिर ये कैसे दिन आये जब , दूर दूर हम रहते है ।
एक दूजे की यादो को क्यों , भुला कर यो जीते है ।
चलो नहीं लिखी जो तुमने , मुझको पाती मेरे यार ।
मै ही लिख डालूं अब अपने , दिल की बातो का सार ।
होली की शुभ कामनाओ के साथ.....
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
2 टिप्पणियां:
आप की पेम पाती बहुत अच्छी लगी मुझे .
विवेक जी !
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