हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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बुधवार, 30 मई 2012

तुम ना आये...

बस तेरे इन्तिज़ार में बैठ,
हमने सारा दिन गुजार दिया 
तुम नहीं आये तो लगा,
हमने मुद्दते गुजार दिया ।

        था भोर होने के समय से ,
        तुमसे मिलने का इन्तिज़ार ।
        फिर शाम आयी और ढल गयी ,
        पर तुम ना आये मिलने यार ।

                क्या करे मजबूर है कुछ ,
                अपने किये वादे से हम ही ।
                एक तेरा ही इन्तिज़ार सदा ,
                करते रहे मुद्दत से बस हम ही ।

                        तुम ना आये मिलने अगर ,
                        कोई झूंठा बहाना ही बनाते ।
                        मिलने का हुआ मन नहीं ,
                        कहकर दिल ना यूँ तुम तोड़ जाते ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

7 टिप्‍पणियां:

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत खूब ...

इस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - सब खबरों के बीच एक खुशखबरी – ब्लॉग बुलेटिन

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुंदर !

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव अभिव्यक्ति...
तस्वीर बहुत कमाल की लगाई है...

सदा ने कहा…

बहुत ही बढिया।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत खूब ...

Rajesh Kumari ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

Rajesh Kumari ने कहा…

first time i visit your blog ,i follow this.

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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