परिणाम का फैसला , भविष्य पर छोड़ दो ।
क्या सही क्या गलत , इतिहास को लिखने दो ।
रखो नजर लक्ष्य पर , डिगे ना मार्ग से कदम ।
काट कर फेंक दे , हर अवरोध जो रोके कदम ।
साम-दाम दण्ड-भेद , हर अस्त्र को मोड़ दो ।
शत्रु के दिलो में गहरे , अपना भय छोड़ दो ।
चाल सदा शत्रु की , सीखते तुम रहो ।
शत्रु दल में हितैषी , खोजते सदा रहो ।
याद रहे हर एक पल , हैं बदलते विकल्प ।
पहचान कर उपयुक्त , शक्ति से भरो संकल्प ।
ठोकरों की सोच कर , चाल ना मद्धिम करो ।
आवेग में कोई कदम , गलत ना तुम धरो ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
अनुकरणीय और प्रेरक रचना ...
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