अंधियारे का अर्थ नहीं , अब कोई दीपक नहीं जलेगा ।
उजियारे का अर्थ नहीं , अब अन्धकार न फिर फैलेगा ।
कठिन राह का अर्थ नहीं , अब सुगम मार्ग ना निकलेगा ।
सहज सुगम का अर्थ नहीं , फिर कष्ट नहीं कोई उभरेगा ।
शत्रु दलों का अर्थ नहीं , कोई मित्र ना उनमे निकलेगा ।
शुलभ मित्रता का अर्थ नहीं , फिर शत्रु ना कोई पनपेगा ।
बँध जाने का अर्थ नहीं , अब मुक्ति कहाँ मिल पायेगी ।व्यापक मुक्ति का अर्थ नहीं , वो बंधन फिर ना लायेगी ।तुम्हे बिसराने का अर्थ नहीं , अब याद तेरी ना आयेगी ।चिर यादों का अर्थ नहीं , वो बिसरायी कभी ना जायेगी ।नव यौवन का अर्थ नहीं , जरा-अवस्था कभी ना आयेगी ।शर शैया का अर्थ नहीं , मन में प्रीति ना वो जगाएगी ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
5 टिप्पणियां:
किसको ये लिखा गया है जनाब??? वैसे बहुत अच्छा लिखे हैं..
अच्छी अभिव्यक्ति ...
Bahut hi achha likha h agar koi kami milegi to wo bhi jarur batayegen......
Bahut hi achha likha h agar koi kami milegi to wo bhi jarur batayegen......
swagat hi govind ji... aap anuman lagaye ye kyo likha gaya hi...ha.ha.haaa
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