अपने पक्ष की कमियों को सदैव खुले दिल दिमाग से स्वीकार करना चाहिए
और उसे बताने वाले को इसके लिए धन्यवाद का पात्र मानना चाहिए कि
उसने आपकी कमियों को आपको बताकर आपको सुधार का अवसर दिया।
ठीक इसी प्रकार विरोधियो और शत्रुओं के गुणों की भी खुले मन और हृदय से
सराहना करनी चाहिए और उन्हें उनके गुणों के लिए प्रशंसा का पात्र मानना चाहिए।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
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