ये जरुरी तो नहीं ,
हर बात तुम्हे समझायी जाय।
और वो भी तब ,
जब तुम खुद समझदार हो ,
और यह जताने का कोई मौका नहीं गँवाते।
फिर बताओ कैसे तुम चूक जाते हो ?
दिलो में धड़कते एहसासो को समझ नहीं पाते हो।
साथ ही तुम समझ क्यों नहीं पाते ,
रिश्तो को चलाने और मिठास बनाये रखने को ,
हमें कई बार वैसा कुछ करना होता है ,
जो सामान्यतया करना हमारी फितरत नहीं होता है।
और ये सब बाते ,
ना जाने कितनी बार समझायी है मैंने तुम्हे।
कभी प्यार से ,
कभी उलाहने से ,
तो कभी तुमसे झगड़ कर ,
तुम्हे रिश्तो की कगार से वापस केंद्र में लाते हुए।
और हर बार ,
हर एक बार तुमने ,
कभी भी अपनी कमियों का एहसास ना करते हुए ,
यही कहा सदा ही तुमने,
कि तुम ही सही थे हमेशा ,
क्योंकि दुनियादारी तुम मुझसे ज्यादा समझते हो।
तो फिर ऐसे समझदार इंसान को ,
ये जरुरी तो नहीं की हर बात समझायी जाय।
या खुद से समझने वाली ,
हर एक छोटी छोटी बात बार बार बतायी जाय।
और अब भी अगर तुम मुझको ,
समझ पाने से चूक जाओ ,
तो ये जरूरी तो नहीं हमेशा ,
अपनी ही भावनाओं की बलि चढ़ायी जाय।
हर बात तुम्हे समझायी जाय।
और वो भी तब ,
जब तुम खुद समझदार हो ,
और यह जताने का कोई मौका नहीं गँवाते।
फिर बताओ कैसे तुम चूक जाते हो ?
दिलो में धड़कते एहसासो को समझ नहीं पाते हो।
साथ ही तुम समझ क्यों नहीं पाते ,
रिश्तो को चलाने और मिठास बनाये रखने को ,
हमें कई बार वैसा कुछ करना होता है ,
जो सामान्यतया करना हमारी फितरत नहीं होता है।
और ये सब बाते ,
ना जाने कितनी बार समझायी है मैंने तुम्हे।
कभी प्यार से ,
कभी उलाहने से ,
तो कभी तुमसे झगड़ कर ,
तुम्हे रिश्तो की कगार से वापस केंद्र में लाते हुए।
और हर बार ,
हर एक बार तुमने ,
कभी भी अपनी कमियों का एहसास ना करते हुए ,
यही कहा सदा ही तुमने,
कि तुम ही सही थे हमेशा ,
क्योंकि दुनियादारी तुम मुझसे ज्यादा समझते हो।
तो फिर ऐसे समझदार इंसान को ,
ये जरुरी तो नहीं की हर बात समझायी जाय।
या खुद से समझने वाली ,
हर एक छोटी छोटी बात बार बार बतायी जाय।
और अब भी अगर तुम मुझको ,
समझ पाने से चूक जाओ ,
तो ये जरूरी तो नहीं हमेशा ,
अपनी ही भावनाओं की बलि चढ़ायी जाय।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
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