आप इशारो से मुझको बुलाने लगे , मेरे सपनो में फिर आप आने लगे।
मैंने सोंचा था थोडा सो लूँ मगर , आप मुझको फिर आकर जगाने लगे।
अपने नाजुक हाथो के एहसास से , मेरे तन मन में सिरहन उठाने लगे।
मेरी सांसो में अपने बदन की महक , आप चुपके से आकर मिलाने लगे।
अपना मुखड़ा छुपाकर परदे में जब , आप नजदीकतर मेरे आने लगे।
छिप गया चाँद बादलों की ओंट में , इसका दीदार मुझको कराने लगे।
मैंने सोंचा था थोडा सो लूँ मगर , आप मुझको फिर आकर जगाने लगे।
अपने नाजुक हाथो के एहसास से , मेरे तन मन में सिरहन उठाने लगे।
मेरी सांसो में अपने बदन की महक , आप चुपके से आकर मिलाने लगे।
अपना मुखड़ा छुपाकर परदे में जब , आप नजदीकतर मेरे आने लगे।
छिप गया चाँद बादलों की ओंट में , इसका दीदार मुझको कराने लगे।
मेरे चहरे पर तेरी बिखरी लटे, जब घटाओं सी आकर छाने लगी।
आने वाला है कोई तूफान अब , ये एहसास मुझको कराने लगी।
सम्भलने की कोशिश करता मगर , झोंके बारिस की मुझको भिगाने लगी।
किसी बेकाबू लहरो की भँवर सी , वो बहाकर मुझको ले जाने लगी।
मेरे ओंठो पर दहकते लावे सा जब , तेरे ओंठो की छुवन आने लगी।
सपनो की दुनिया में नहीं हूँ मै , तू हकीकत में संग ये बताने लगी।
आँखे खोली तो मै था तेरी बाँह में , मेरी बाँहो में फिर आप समाने लगी।
मेरे सपनो में आप आती ही थी , अब हकीकत में भी पास आने लगी।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
1 टिप्पणी:
प्रेम रस से भरपूर एक सुन्दर रचना ......वाह
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