हे भगवान,

हे भगवान,
इस अनंत अपार असीम आकाश में......!
मुझे मार्गदर्शन दो...
यह जानने का कि, कब थामे रहूँ......?
और कब छोड़ दूँ...,?
और मुझे सही निर्णय लेने की बुद्धि दो,
गरिमा के साथ ।"

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा एवं प्रतिक्रिया हेतु मेरी डायरी के कुछ पन्ने

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शनिवार, 5 मई 2012

एक सवाल..

नाहक ही पूंछ बैठे हम , कल एक सवाल उनसे ।
वो जिन्हे हम याद करते, थकते नही है दिल से ।

मन के कोनो मे जिनकी, याद बसी रहती है हर पल । 
ना केवल फ़ुरसत में, व्यस्तता के पलो मे भी हर पल ।

सवाल था सीधा सा, क्या कभी हम याद आते है उन्हे । 
बड़ी ही मासूमियत से फिर , वो बोले देखते हुये हमे ।

अरे क्यो सोंचा हम कभी याद करते नही तुम्हे ?
हर खाली लम्हों मे बस आप याद आते है हमें !

बात सही थी, यूँ आयी गयी और भुला दी गयी कुछ पल मे ।
पर यह भी सच है उन्हे खाली लम्हा मिलता कहां जीवन मे ?

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति!

Vivek Mishrs ने कहा…

Dhanyawab bhai..

Vivek Mishrs ने कहा…

Post blog buletin me samil karane ke liye aapka aabhar Shivam ji.

आपके पठन-पाठन,परिचर्चा,प्रतिक्रिया हेतु,मेरी डायरी के पन्नो से,प्रस्तुत है- मेरा अनन्त आकाश

मेरे ब्लाग का मोबाइल प्रारूप :-http://vivekmishra001.blogspot.com/?m=1

आभार..

मैंने अपनी सोच आपके सामने रख दी.... आपने पढ भी ली,
आभार.. कृपया अपनी प्रतिक्रिया दें,
आप जब तक बतायेंगे नहीं..
मैं कैसे जानूंगा कि... आप क्या सोचते हैं ?
हमें आपकी टिप्पणी से लिखने का हौसला मिलता है।
पर
"तारीफ करें ना केवल, मेरी कमियों पर भी ध्यान दें ।

अगर कहीं कोई भूल दिखे ,संज्ञान में मेरी डाल दें । "

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण


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