भाई दो बाते कहनी तुमसे है , दो बात सुनानी तुमको है ।
जो बात चुभी मेरे दिल में है , वो बात सुनानी तुमको है ।
हम दोनों ही इन्सान यहां , हम दोनों की कमजोरी है ।
सम्बन्ध बनाये रखने की , शायद अपनी मज़बूरी है ।
तुम भूल गए हम दोनों ही , अभिमान पाल कर रखते हैं ।
पर शब्दों में सदा एक दूजे का , सम्मान पाल कर रखते है ।
फिर भी तुमने निज शब्दों में , मेरा कम क्यों मान किया ?
मुझे मान कर निज प्रतिद्वन्दी , मेरा क्यों अपमान किया ?
जब बात चुभी है दिल में तो , अब बहुत दूर तक जाएगी ।
आज नहीं तो कल निश्चित , रिश्तो में खटास ये लाएगी ।
निश्चित ही बस क्रोध में ही , जुबान नहीं वो फिसली थी ।
तेरे दिल के अन्दर से ही , वो बात कहीं से निकली थी ।
बेहतर है सच उसे मान , मै आगे नीति निर्माण करूँ ।
मगर जताकर ही तुमको , अपने तीरों पर शान धरूँ ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
सुप्रसिद्ध शायरा शबीना 'अदीब' की एक ग़ज़ल के दो शे'र लगा रहा हूँ ।
"जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ाज़ रखते हैं नरम अपना
तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई नई है ।
ज़रा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा, के आके बैठे हो पहली सफ़ में
अभी क्यों उड़ने लगे हवा में, अभी तो शौहरत नई नई है ।"
अभी क्यों उड़ने लगे हवा में, अभी तो शौहरत नई नई है ।"
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