उफ़ ! ये कैसा दीवानापन है , तुमसे ही बेगानापन है ।
बिन तेरे व्याकुल हूँ रहता , पाकर क्यों बेचैन मै रहता ।
हसरत भरी निगाहों से जिन्हें , हर पल मै देखा करता ।
फिर भी उनको पाकर क्यों , मै आधा अधूरा सा रहता ।
जिनसे करता अतिशय प्यार , जिनका मै दीवाना रहता ।
फिर भी उनको पाकर क्यों , खाली-खाली सा मै रहता ।
फिर भी उनको पाकर क्यों , खाली-खाली सा मै रहता ।
उनको भी एहसास है इसका , पर वो बात छुपाते है ।
शायद अपनी कमजोरी पर , मन ही मन घबड़ाते है ।
मेरा क्या मै हूँ बादल सा , उमड़-घुमड़ कर बरस ही पड़ता ।
जो भी आता मन में मेरे , कहे बिना मै रह नहीं सकता ।
बात समझता हूँ मै भी , ये बस मेरा दीवानापन है ।
पर नहीं समझ मै पाता हूँ , फिर क्यों बेगानापन है ।
3 टिप्पणियां:
वाह....बहुत सुन्दर
achha hai
Very very Nice post our team like it thanks for sharing
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