मेरी डायरी के पन्ने....

शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

एक और सितारा अस्त हो गया...

दुखद समाचार प्राप्त हुआ की पाकिस्तान के प्रख्यात कव्वाली गायक हाजी मकबूल साबरी साहेब का निधन हो गया, संगीत जगत का एक और जगमगाता सितारा अस्त हो गया l
हाजी मकबूल साबरी साहेब की याद मे:

(शायर साइ आजाद नें एक कल्पना को ग़ज़ल में तामीर किया:- " अगर पैसा बोल सकता तो क्या बोलता ?"
और उतनी ही खूबसूरती के साथ साबरी बंधुओं ने इसे गया है ।)

संसार में बाजे ढोल,
यह दुनिया मेरी तरह है गोल,
की पैसा बोलता है

कि पैसा क्या बोलता है... ?

हारून नें मुझको पूजा था,
फिरओँ भी मेरा शैदा था,
षड्दात की जन्नत मुझे मिली,
निम्रोड़ की ताक़त मुझसे बनी,
जब चढ़ गया मेरा खुमार,
खुदा के हो गये दावेदार,
कि पैसा बोलता है

हर शख्स है मेरे चक्कर में,
है मेरी ज़रूरत घर घर में,
जिसे चाहूं वो खुशहाल बने,
जिसे ठुकरा दूं कंगाल बने
यह शीशमहल, यह शान,
मेरे दम से पाए धनवान,
कि पैसा बोलता है

मैं आपस में लड़वाता हूँ ,
लालच में गला कटवता हूँ,
जहाँ मेरा साया लहराए,
कस्तूरी खून भी छुप जाए,
मैं कह देता हूँ साफ़ ,
मेरे हाथों में है इंसाफ़,
कि पैसा बोलता है

कहीं हदिया हूँ,कहीं रिश्वत हूँ,
कहीं गुंडा टॅक्स की सूरत हूँ,
कहीं मस्जिद का मैं चंदा हूँ,
कहीं ज्ञान का गोरखधंधा हूँ,
है पक्के मेरे यार,
मौलवी पंडित थांनेदार,
कि पैसा बोलता है

जब लीडर मैं बन जाता हूँ,
चक्कर में क़ौम को लाता हूँ,
फिर ऐसा जाल बिछाता हूँ,
की मन के मुरादेँ पाता हूँ,
मैं जिस पे लगा दूं नोट,
ना जाए बाहर उसका वोट,
कि पैसा बोलता है

कि हर साज़ में है संगीत मेरा,
फनकार के लब पे गीत मेरा,
हर रख्स में है रफ़्तार मेरी,
हर घुँगरू में झंकार मेरी,
यह महफ़िल यह सुर ताल,
हो गानेवाली या क़व्वाल,
कि पैसा बोलता है

और अंत में शायर अपने बारे में कहता है ...

कोई साइ था आबाद रहा,
मेरी जुल्फोँ से आज़ाद रहा,
हर दौर में ज़िंदाबाद रहा,
और दोनो जग में शाद रहा,
रब बख्से जिसे ईमान,
छुड़ाए मुझसे अपनी जान,
की पैसा बोलता है
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(साबरी साहेब की आत्मा को भगवान शांति प्रदान करे.....) 

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

तेरी बाते तू ही जाने..

तेरी बाते तू ही जाने , मै तो अपनी कहता हूँ ।
दिल की बाते तुम समझो , मै तो शब्दों में कहता हूँ ।
तुम बाते रखते हो दिल में , मै बात जुबाँ पर रखता हूँ ।
तुम साथ निभाते हो छुपकर , मै महफ़िल में संग रहता हूँ ।
किस पल की बात कहें हम तुमसे , हर पल ही तुम संग रहते हो ।
फिर दिल की बात कहें क्या  उनसे , जो स्वयं ही दिल में रहते हो । 



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बुधवार, 14 सितंबर 2011

जाने कितने सपने है , जाने कितनी मर्यादायें...

जाने कितने सपने है , जाने कितनी मर्यादायें ।
जाने कितने पूरे होंगे , कितने धूल-धूसरित होंगे ।

जग में अगणित सपने हैं , अगणित हैं मर्यादा भी ।
कुछ तो दिखते पूरे पूरे हैं , कुछ टूटे फूटे खंडित भी ।
कुछ की होनी है नवरचना , कुछ भूले बिसरे यही पड़े ।
कुछ राहों में हैं साथ खड़े , कुछ जंगल में हैं कहीं पड़े ।
कुछ ठोकर बने हैं राहों में , कुछ धारा में मोहताज पड़े ।
कुछ अपने बल पर यहाँ खड़े , कुछ मरुभूमि में दबे पड़े ।

कुछ अपने पास बुलाते हैं , कुछ दूर से ही डरवाते हैं ।
कुछ के होते हैं अन्वेषण , कुछ के होते बस शोषण है  ।
कुछ आपस में रहते संघर्षरत ,कुछ एक दूजे के पूरक हैं ।
कुछ की अपनी धाराये है , कुछ सब धाराओं में बहते  है ।
कुछ बिलकुल मेरे अपने है, कुछ सारे जग के सपने हैं ।

कुछ अपनो के भी सपने है , कुछ सपनों में भी अपने है ।

जाने कितने पूरे होंगे , कितने धुल धूसरित होंगे ।
जाने कितने सपने हैं और , जाने कितनी मर्यादायें ।

किस किस का मै हाल बताऊँ , किस किस का मै नाम गिनाऊँ.........


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रविवार, 11 सितंबर 2011

हम सभी इन्सान हैं..

भावनावों के भंवर में ,
डूब जाता आदमी ।
डोर रिश्तो की पकड़ ,
पार जाता आदमी ।

कौन है ऐसा यहाँ , 
भावना शून्य हो ।
मोह माया भूल कर ,
कष्टों से दूर हो ।

हम सभी इन्सान हैं ,
भावना प्रधान हैं ।
मान और अपमान के ,
मध्य विराजमान हैं ।


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शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

जाने भी दो यारो....

जाने भी दो यारो यह तो , पूर्व नियत था नहीं पता क्या।
जब मानव अजर अमर नहीं , रिश्ते क्षणभंगुर हुए तो क्या ।
यह भूल तुम्हारी अपनी थी , अभिनय को सच मान लिया ।
रिश्तो के सौदागर को , तुमने नाहक अपना मान लिया ।
यह रंग मंच है जिस पर , अभिनय नाना प्रकार के होते है ।
हर शब्द यहाँ है पूर्वनियत , हर भाव यहाँ बे-मानी है ।

इस रंग मंच की दुनिया में , केवल चरित्र ही मरता है ।
मत उदास हो व्यर्थ यहाँ , अभिनेता जीवित रहता है ।
उसका क्या उसको प्रतिदिन , एक सा अभिनय करना है ।
तुम अश्रु गिराने लगे अगर , जीवन कहाँ फिर चलना है ।
तारीफ करो अभिनेता की , कितना जीवंत रहा अभिनय है ।
भ्रमित हो गए देख जिसे , वो कितना महान अभिनेता है ।....१७/०८/२००४ 

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