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शुक्रवार, 9 सितंबर 2011

जाने भी दो यारो....

जाने भी दो यारो यह तो , पूर्व नियत था नहीं पता क्या।
जब मानव अजर अमर नहीं , रिश्ते क्षणभंगुर हुए तो क्या ।
यह भूल तुम्हारी अपनी थी , अभिनय को सच मान लिया ।
रिश्तो के सौदागर को , तुमने नाहक अपना मान लिया ।
यह रंग मंच है जिस पर , अभिनय नाना प्रकार के होते है ।
हर शब्द यहाँ है पूर्वनियत , हर भाव यहाँ बे-मानी है ।

इस रंग मंच की दुनिया में , केवल चरित्र ही मरता है ।
मत उदास हो व्यर्थ यहाँ , अभिनेता जीवित रहता है ।
उसका क्या उसको प्रतिदिन , एक सा अभिनय करना है ।
तुम अश्रु गिराने लगे अगर , जीवन कहाँ फिर चलना है ।
तारीफ करो अभिनेता की , कितना जीवंत रहा अभिनय है ।
भ्रमित हो गए देख जिसे , वो कितना महान अभिनेता है ।....१७/०८/२००४ 

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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