मेरी डायरी के पन्ने....

सोमवार, 29 अगस्त 2011

सत्य है इतिहास दोहराता है ...

इतिहास बताता है कि जे.पी. के आन्दोलन में उस समय के कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने पहले आरोप लगाया की सी.आई.ऐ. का हाथ है फिर आर.एस.एस. को भी जोड़ दिया , 

और वर्तमान में अन्ना के आन्दोलन में भी कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ( जिनकी सबने बारी बारी उतारी ) ने भी पहले अमेरिका का हाथ बताया फिर आर.एस.एस. को भी जोड़ दिया...


मगर न इतिहास में कांग्रेस के पास समझ थी न वर्तमान में बुद्धि समय से आयी.... 
अफसोस चिड़िया चुग गयी खेत !


जे.पी.आन्दोलन में भी बात चली थी... " यह अन्दर की बात है , पुलिस हमारे साथ है "
अन्ना के आन्दोलन में भी ... " यह अन्दर की बात थी , पुलिस जनता के साथ थी "


हाँ इतिहास हमेशा अपने को दोहराता है और इस क्रम में सभी को अक्सर दो-राहे पर लाता है , पर रास्ता तो एक ही सही होता है......!
तो जो समझदार होते है वो इतिहास से सबक लेकर पहले दिन से ही सही राह चुनते है, बाकी जो बने हुए नादान (ज्यादा बुद्धिमान) होते है वो लतियाये,जुतियाये जाने के बाद अपनी आन-मान-मर्यादा गवां कर सही रस्ते पर आते है .


और अब कुछ मन की भड़ास...जिसे फेसबुक पर कुछ देर पहले ही निकला है...

क्षमाँ करे माननीय प्रधानमंत्री जी ,
आपकी योग्यता और ईमानदारी पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा सकता है पर क्या करियेगा....?
काजल की कोठारी में कतनो जतन करो , कालिख तो तन पर लागे ही लागे मनमोहन भैया...
जैसे
कोई कितना हो जती , कोई कितना हो सती , कामनी के संग काम जागे ही जागे राहुल भैया...

राहुल बाबा का बस यही है नारा ...
हमें देखा था , हम देख रहे है , हम आगे भी देखेंगे..
ये नहीं हुवा है , ये नहीं हो रहा है , ये आगे भी नहीं होगा...
तभी तो जनता ने पहले यू.पी. और बिहार में कांग्रेस को पछाड़ा , आगे देखो कहाँ कहाँ है 
जाना लथाड़ा।

अरे हाँ स्वामी अग्नीवेश जी......परनाम (शब्द सही लिखा है) 
जब सब त्याग दिया तो ई मोबाइलवा का मोह कब छोड़ियेगा....? 
अब देखिये न इसके कारन आपकी बुढौती मा,
भगवा चुनरी में लागा हाईटेक चोर , 
ओ बाबा देखो खुल गया तेरा पोल..
बेहतर है स्वामी जी आप कोयले की दलाली में हाथ अजमावो और बंधुवा मजदूरी में नाम कमावो


और अब एक पत्र चोरो के नाम....
.
.
.
अरे अभी कहाँ लिखा , लिख रहा हूँ जल्दी ही पोस्ट करूँगा..
फ़िलहाल सोने का समय हो रहा है तो शुभ रात्रि...
पर चलते चलते....दोहरा दूँ 


एक अंगारा ही जंगल को जला देता है , नादां है वो जो शोलो को हवा देते है...!


1 टिप्पणी:

  1. आपकी कवितायेँ अवं संग्रह पढ़ कर अच्छा लगा ऐसे रचनाओं के लिए धन्यवाद
    कृपया मुझे भी मार्गदर्शन देवे

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
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आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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