मेरी डायरी के पन्ने....

गुरुवार, 15 सितंबर 2011

तेरी बाते तू ही जाने..

तेरी बाते तू ही जाने , मै तो अपनी कहता हूँ ।
दिल की बाते तुम समझो , मै तो शब्दों में कहता हूँ ।
तुम बाते रखते हो दिल में , मै बात जुबाँ पर रखता हूँ ।
तुम साथ निभाते हो छुपकर , मै महफ़िल में संग रहता हूँ ।
किस पल की बात कहें हम तुमसे , हर पल ही तुम संग रहते हो ।
फिर दिल की बात कहें क्या  उनसे , जो स्वयं ही दिल में रहते हो । 



सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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