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गुरुवार, 5 जून 2014

समय फिर लौट आता है...

समय सदैव ही अपने को दोहराता है ,
हमारा अतीत फिर भविष्य बन कर सामने आता है ।
जो बोया था हमने हमारे भूत काल में ,
वो ही आगे नयी पौध बनकर लहलहाता है ।

जो नापसंद था हमें हमारे अतीत में हमेशा ,
कि कोई क्यों वैसा करता है जो हमें नहीं भाता है ,
वही बाते वही आदते काल पात्र स्थान बस बदल कर ,
ये समय किसी और के लिए हमसे भी करवाता है ।

और देखो तमाशा समय का यारो हमेशा ही ,
कौन सही था कौन गलत अतीत में ,
ये वर्तमान ही हमें बता पाता है और ,
यूँ ही समय हमसे हमारे भावनाओं से खेलता जाता है ।

समय अपने बीतने के साथ साथ ,
हमें तमाम नए सबक सिखाता है ,
और यूँ ही कभी पछतावा तो कभी ,
एक नयी संतुष्टि का एहसास कराता है ।

जो बीता था अतीत जब फिर वर्तमान बन कर सामने आता है ,
बस एक ही अफसोस दिल में रह जाता है ,
हम बदल नहीं सकते उसे जो अतीत बन जाता है ,
भले ही समय काल-पात्र-स्थान-चाल-चरित्र-चेहरा बदल कर फिर लौट आता है ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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