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शुक्रवार, 22 नवंबर 2013

जागो पथिक..

नींद भले ही टूट गयी हो , स्वप्न अधूरे छूट गए हो ।
संकल्प अधूरा रहे न कोई , श्रम बल को माने सब कोई ।
स्वप्न तो केवल स्वप्न ही है , जिसका आधार ही कल्पित है ।
श्रम वो ठोस धरातल है , जिसका परिणाम सदा सुखित है ।
मन ज्यों होता है सजग , स्वप्न तभी खंडित होता ।
मन में जब कोई भ्रम होता , संकल्प तभी असहज होता ।

संकल्प और इस स्वप्नलोक का , केवल इतना नाता है ।
स्वप्न दिशा नव देता है , संकल्प सदा उसे पाता है ।
स्वप्न लक्ष्य सुझाता है , संकल्प विजित कर लाता है ।
फिर व्यर्थ व्यग्र ना रहो पथिक , स्वप्न तुम्हारा टूट गया ।
लो भोर हो रही है देखो , आती संकल्प निभाने की बेला ।
संकल्प सदा इतिहास बनाता , स्वप्न तो बस परिहास कराता ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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