मेरी डायरी के पन्ने....

शनिवार, 27 जुलाई 2013

समय...

समय बड़े बड़े घावो  को  भरने की सामर्थ रखता है ।
आज  जिन बातो से हम द्रवित एवं विचलित होते है कल वही बाते हमारे लिए सामान्य से भी कम महत्त्व की हो जाती है ।
यही मानव स्वभाव और संसार का नियम है ।

फिर चाहे वह सांसारिक रिश्ते हो या प्राणों से प्रिय प्रेम सम्बन्ध ,चाहे भौतिक सुख की चाह हो या मानसिक असंतुष्टिया ।
समय हर किसी के प्रति हमारी सोंच एवं एहसास को बदलता रहता है ।
और अंत में हमें उसके बिना या उसके साथ जीना सिखा ही देता है…!

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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