मेरी डायरी के पन्ने....

रविवार, 31 मार्च 2013

एक पाती..

सोंच रहा हूँ लिख डालूं , प्रियवर को अपने एक पाती ।
अपने मन का हाल लिखू , कह डालू दिल की सब बात ।
बहुत दिनों से मिले नहीं , न लिखी प्रेम की कोई पाती ।
कैसे बीते है ये दिन और , कैसे होगी आगे मुलाकात ।

वो भी क्या दिन थे जब , हम घंटो बाते करते थे ।
बिना बात की बात पर , हम अक्सर रूठा करते थे ।
फिर घंटो एक दूजे की , हम मान-मनोवल करते थे ।
रोज सबेरे एक दूजे से , हम सपनों की बाते करते थे ।

फिर ये कैसे दिन आये जब , दूर दूर हम रहते है ।
एक दूजे की यादो को क्यों , भुला कर यो जीते है ।
चलो नहीं लिखी जो तुमने , मुझको पाती मेरे यार ।
मै ही लिख डालूं अब अपने , दिल की बातो का सार ।

होली की शुभ कामनाओ के साथ.....

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG


2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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