मेरी डायरी के पन्ने....

गुरुवार, 28 जून 2012

जीवन..

धूप छांह है जीवन सारा , लगता इसी लिये है प्यारा ।
कभी हँसाये कभी रुलाये , फिर भी लगता हमको न्यारा ।
कभी क्रोध मे हमे जलाये , कभी प्रेम की धार बहाये ।
कभी गैर अपना बन जाये , अपनो को कभी गैर बनाये ।
कभी बहे दूध की नदियां , कभी तड़प पानी बिन जाए ।
कभी दुखो के बादल छाये , पल मे गीत खुशी के गाये ।

कभी द्वार पर लगता मेला , कभी हो घर वीरान अकेला ।
कभी प्रेम अतिशय यह पाये , कभी तरस साथ को जाए ।
कभी फ़ूल आंचल मे आये , कभी धूल से तन सन जाए ।
कभी मिले फ़ल बैठे बैठे , कभी परिश्रम से भी ना पाए ।
कभी जन्म की बजे बधाई , पल मे शोक म्रृत्यु की छाई 
रहे बदलता मौसम सा सब , नश्वर जीवन की यही दुहाई ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)