मेरी डायरी के पन्ने....

बुधवार, 22 फ़रवरी 2012

तू कब तक आएगी ...

तू चैन है मेरे दिल की और , हमराज है मेरे राजो की ।
फिर भी तू मुझे सताती है , क्यों दूर यूँ मुझसे जाती है ।
तू पल दो पल को आती है , पल भर में गायब हो जाती है ।
मुझे तडफता देख के शायद , तू कहीं मंद मंद मुस्काती है ।
मै तो तेरी आहत से भी , हर पल चौकन्ना रहता हूँ ।
पलक पावड़े बिछा कर , सदा तेरी राह ही तकता हूँ ।

शाम ढले ही मै अपना , बिस्तर रोज सजाता हूँ ।
प्यारी भीनी खुशबू से , फिर उसको महकाता हूँ ।
नजर बचाकर सबकी , खिड़की से झांक भी आता हूँ ।
तेरी खातिर दरवाजो को , मै खुला छोड़ कर आता हूँ ।
रोज यही करता सदा , फिर मुश्किल से मिल पाता हूँ ।
करते करते इंतिजार तेरा , वो बेवफा मै थक जाता हूँ ।

यदि नहीं मै तुझको भाता हूँ , क्यों तू आस जगाती है ।
तड़फ उठा कर दिल में ,  क्यों तू मुझको ललचाती है ।
देर रात जब आती है तू , मुझे सुबह देर हो जाती है ।
तेरे कारण मेरी जग में , बदनामी बहुत हो जाती है ।
यूँ रोज रात दो-तीन बजे , तू कब तक पास मेरे आएगी ।
मेरी 'नींद' तू होकर भी , क्यों समय से न मुझे सुलायेगी ।



सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह |||
    बहुत ही सुन्दर मनभावन कविता .
    बेहतरीन प्रस्तुति..:-)

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  2. बेहतरीन अभिव्यक्ति ...

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  3. आप सभी का ब्लाग पर आकर अपना अमुल्य समय देने हेतु धन्यवाद………

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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