मेरी डायरी के पन्ने....

शुक्रवार, 19 अगस्त 2011

ये क्रांति नहीं अब रुकनी है...


जैसा मन भावन रूप तेरा , 
वैसी मन भावन बात तेरी ।
अन्ना तुझको नाम दिया , 
गाँधी का तुझे काम दिया ।

लो आज सजा फिर मंच तेरा , 
जनता बिछाती पलक पांवड़े ।
स्वागत है हे जनता जनार्दन , 
कर दो तुम सत्ता का मर्दन ।

अफसोस, नहीं हम पास तेरे , 
फिर भी हर पल हैं साथ तेरे ।
ये क्रांति नहीं अब रुकनी है , 
यहाँ विश्व की निगाहें टिकनी है ।



यह सम्राट अशोक की धरती है , 
सत्य,अहिंसा की यह जननी है ।
यहाँ गाँधी ने उपवास किया ,
और बुद्ध ने यहाँ वास किया ।

नमन तुझे है आज के गाँधी , 
आभार तेरे पथ प्रदर्शन को ।
मेरी आँखे तरस रही हैं कबसे  ,
तेरा दर्शन प्रत्यक्ष करने को ।

कटिबद्ध है तेरे संग हम सब , 
जन लोकपाल को लाने को ।
बिना रक्तमय क्रांति किये , 
भारत से भ्रष्टाचार मिटाने को ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

  1. कल-शनिवार 20 अगस्त 2011 को आपकी किसी पोस्ट की चर्चा नयी-पुरानी हलचल पर है |कृपया अवश्य पधारें.आभार.

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)