मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 23 अगस्त 2011

क्या जन लोकपाल आ जाने से भ्रस्टाचार ख़त्म हो जायेगा..

बहुत से लोग पूंछते है....
क्या जन लोकपाल आ जाने से भ्रस्टाचार ख़त्म हो जायेगा...?
सारे लोग ईमानदार हो जायेंगे ?

तो मै इतना ही कहना चाहूँगा मेरे दोस्तों  यूँ तो सनातन काल से देश में पुलिस की भी व्यवस्था है तो क्या चोरी हत्या या बलात्कार रुक गया है......?
नहीं ना...!
मगर जिस दिन पुलिस  की व्यवस्था को ख़तम कर दिया जाय तो... सरे शाम चोरी होगी, सरे बाज़ार बलात्कार होगा...

तो जन लोकपाल भारत में राम राज्य या राजा हरिश्चंद्र का योग नहीं लायेगा मगर पता चलने पर भ्रष्टाचारियो के मुह में डंडा जरूर डाल कर जरूर उलट देगा.
और बाबा तुलसीदास ने भी भगवान रामचंद्र के हवाले से कहा है... "भय बिन होय ना प्रीत"

"मुह में डंडा" लिखने के लिए प्रबुद्ध जनो से आदर सहित खेद है.



अशोक रावत जी ने सच ही कहा है..
हम गुजरे कल की आँखों का सपना ही तो है....
क्यों माने सपना कोई साकार नहीं होता....

तो शिशुपाल सिंह जी की पंक्तियों के माध्यम से कहूँगा...
अगर चल सको साथ चलो तुम..
लेकिन मुझसे यह मत पूंछो , 
कितना चलकर आये हो तुम,
कितनी मंजिल शेष रह गयी.

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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