हार कर तुम जिंदगी से , लौटना ना हमसफ़र ।
जब तलक है जिंदगी , हम साथ तेरे हमसफ़र ।
हम तुम्हे दिखलायेंगे , कैसे पलटती बाजियां ।
हम तुम्हे सिखलाएंगे , कैसे बनाते हैं किला ।
साथ जो चलते यहाँ , निश्चित नहीं सब मित्र हों ।
दूर जो दिखते तुम्हे , निश्चित नहीं सब शत्रु हों ।
पहचानना सीखो जरा , चाले जो यहाँ चल रहीं ।
साथ ही तुम यह भी देखो , शह कहाँ से हो रही ।
यूँ तो अक्सर प्यांदे भी , हैं बना देते नजीर ।
गफलत में पिट जाते है , हाथी-घोड़े-ऊँट-वजीर ।
तो जरा तुम सीख लो , करना सुरक्षा अपनो की ।
फिर तोड़ भी सीख लेना , दूसरो के चक्रव्यूह की ।
गर कभी थकने लगाना , मुश्किलों के मोड़ पर ।
बस पलट कर देख लेना , जिंदगी के छोर पर ।
जब तलक है जिंदगी , हम साथ तेरे हमसफ़र ।
हार कर तुम जिंदगी से , लौटना ना हमसफ़र ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
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"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
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