मुझसे पूँछा किसी ने शरारत में ..
क्या है मेरी शराफत की सीमा ?
क्या है मेरी शराफत की सीमा ?
मैंने मुस्कराकर जबाब दिया..
गोया अब क्या कहे अपने मुह से हम...
लोग कहते है....
शरीफ हूँ मै इतना कि..
शराफत मेरे चेहरे पर झलकती ही नहीं चेहरे से टपकती भी है ।
शरीफ हूँ मै इतना कि..
शराफत मेरे चेहरे पर झलकती ही नहीं चेहरे से टपकती भी है ।
सुनकर वो मुस्कुराये और बोले ,
यार तब तो बड़ी मुश्किल होती होगी गुजर बसर करना....!
यार तब तो बड़ी मुश्किल होती होगी गुजर बसर करना....!
मैंने कहा...
खुदा का शुक्र है यारों.. ,
शराफत अपने से टपक जाती है सारी , और फिर आप जैसो से निपटने में मुझे नहीं होती है लाचारी ।
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आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
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