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गुरुवार, 4 अगस्त 2011

शराफत की सीमा ?

मुझसे पूँछा किसी ने शरारत में .. 
क्या है मेरी शराफत की सीमा ?

मैंने मुस्कराकर जबाब दिया.. 
गोया अब क्या कहे अपने मुह से हम...
लोग कहते है.... 
शरीफ हूँ मै इतना कि.. 
शराफत मेरे चेहरे पर झलकती ही नहीं चेहरे से टपकती भी है ।

सुनकर वो मुस्कुराये और बोले , 
यार तब तो बड़ी मुश्किल होती होगी गुजर बसर करना....!
मैंने कहा... 
खुदा का शुक्र है यारों.. ,
शराफत अपने से टपक जाती है सारी , 
और फिर आप जैसो से निपटने में मुझे नहीं होती है लाचारी ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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