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बुधवार, 3 अगस्त 2011

जीवन की परिभाषाएँ...

जीवन की परिभाषाएँ जब , समझ नहीं हमें आती हैं ।
करती हैं बेचैन हमें , मन को विह्वल कर जाती हैं । 
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ अत्यंत सरल सी होती हैं ।
हम वैसा ही फल पाते है , जैसे बीजो को हम बो आते हैं ।
कब देखा हमने जीवन में , काँटों के बीच हो आम लगा ।
बिन बोये खेत में बीजों को , कभी अपने से धान उगा ।
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ बहुत जटिल भी होती हैं ।
अंगारों में तप कर निखरना , फौलाद की किस्मत होती है । 
पर ज्यों ज्यों तपता है सोना , कोमल निर्मल होता जाता है ।
एक ही जैसे तपते दोनों , फिर क्यों उलटा असर हो जाता है
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ अत्यंत ही सुन्दर होती हैं ।
सागर के बदरंग सीप में , सुन्दर मोती की रचना होती है ।
कीचड़ के ही मध्य सदा , खिलते है कमल मुस्काते हुए ।
घटाटोप अँधेरी रातों में ही , दिखते है तारे टिमटिमाते हुए ।
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ बदरंग सी भी होती हैं ।
अपनो को अपने ठगते है , फिर अपनो से गैर बचाते है ।
काँटों के ही मध्य सदा , किसलय गुलाब खिल पाते हैं ।
बिना दंड के मानव भी , स्वयं अनुशासित नहीं रह पाते हैं ।
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ अत्यंत सुरीली होती हैं ।
कोयल की कूक जब आती है , तन मन को हर्षा जाती है ।
अदल बदल कर आते मौसम , मन को सदा लुभाते हैं ।
संतति के हर अरमानो को , माता पिता सदा निभाते हैं ।
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ बहुत ही कर्कश होती हैं ।
कुछ क्षण पहले उत्सव था , क्षण में प्रलय हो जाती है ।
पल में होता जन्म यहाँ , पल में अर्थी सज जाती है ।
रिस्तो में मधुरता आये , उससे पहले डोर टूट जाती है ।
यूँ जीवन की परिभाषाएँ , कुछ अलग अलग सी होती हैं ।
जिसने जैसे कर्म किये , उसको वैसी अक्सर दिखाती है ।
ये कभी लुभाती जीवन को , तो मन को कभी दुखाती है ।
लेकिन हर एक कठिन मोड़ पर , नूतन राह दिखाती है ।
जीवन की परिभाषाएँ जब,  अपना रूप दिखाती हैं ।
मानव को मानव सा , जीने का मार्ग बताती हैं ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

  1. जीवन की परिभाषा बहुत ही विस्तार और सटीक ढंग से समझा दिया है ....आभार

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
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