मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 28 जून 2011

तेरी रजा....

वाह कितने प्यारे शब्द कहे गए है ...
"मालिक तेरी रजा रहे और तू ही तू रहे ,
बाकी न मै रहूँ न मेरी आरजू रहे ।"
और आज इन्ही शब्दों और भावो से मै ईश्वर को धन्यवाद देना चाहूँगा कि उसने मुझे मेरे जीवन के एक और वर्ष की शुरुवात करने का अवसर दिया और जीवन में वह सब दिया जिसे जब जब मैंने बेक़रार होकर पाना चाहा ...


तूने मुझे बनाया जग में , तू ही मुझे चलाता है ।
मै तो हूँ कठपुतली तेरी , तू ही मुझे नाचता है ।

क्या मै माँगू क्या चाहूँ , कुछ समझ नहीं आता है ।
मेरी तो हर साँस में ही , बस बसती तेरी माया है ।

अच्छे बुरे यहाँ है जो भी , सारे कर्म तुम्हारे है ।
तू ही सच्चा कर्ता है , और तू ही सबका भर्ता है ।
मेरी क्या समर्थ यहाँ जो , करूँ कार्य अपने बल पर ।
मै तो बस कठपुतली हूँ , जो नाच रहा तेरे बल पर ।


तेरे बनाये इस जग में , क्या मेरा कौन पराया है ।
चाह रहा हूँ जो भी दिल में , वो सब तेरी माया है ।
सुख दुःख जो जग में आता , वह कहाँ हकीकत होता है ।
जो समझ नहीं इसे पाता है , वो ही जग में रोता है ।

जब यही सत्य है जग का , फिर कहाँ सत्य मेरी काया है ।
दसो दिशा में जहाँ भी देखो , बस फैली तेरी माया है ।
इसी तरह से इस जग को , तुमने सदा चलाया है ।
तेरी रजा ही मेरी रजा है , और तू ही मेरी काया है ।
। © सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

  1. काश ये सारी बातें हमें हमेशा याद रह सकें।

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  2. हम सब तो उसके हाथ की कठपुतली हैं...
    बहुत बढ़िया...

    जवाब देंहटाएं

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आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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