मेरी डायरी के पन्ने....

शनिवार, 25 जून 2011

आधा.. या पूरा

आधे पर मन राजी है , 
तन भी राजी आधे पर ।
आधे को सिद्धांत मनाता , 
भौतिकी राजी आधे पर ।
आधा धर्म को प्यारा है ,
ईश्वर उससे न्यारा है ।
पर
नहीं चाहिए आधा रिश्ता ,
आधा दिल में सदा ही चुभता ।
आधे का है मोल वहा ,
जहाँ व्यापता धन और वैभव ।
आधे का क्या करेगा दिल  , 
हमें चाहिए पूरा ह्रदय ।


© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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