मेरी डायरी के पन्ने....

बुधवार, 25 मई 2011

चंद लम्हे प्यार के...

चंद  लम्हे  प्यार   के ,  जी कर देख ले यहाँ मुसाफिर ।
कब रैन-बसेरा  खाली  कर ,   जाना पड़े तुझे मुसाफिर ।

जो आया है वो जायेगा , कोई अमर नहीं हो पायेगा ।
बस   शेष   रहेगी   यादें कुछ  ,  बाकी सब मिट जायेगा ।

पल   दो पल का जीवन है ,  कुछ पल ही रह पायेगा ।
बिना प्यार के लम्हों के ,   ये जीवंत कहाँ हो पायेगा ।

© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

3 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य कथन....

    जीवन तो क्षणभंगुर है ......मगर .....प्यार अमर !

    जवाब देंहटाएं
  2. सच ही तो है जो आएगा वो जाएगा पर अपने का जाना बहुत दुख देता है...

    जवाब देंहटाएं
  3. यथार्थमय सुन्दर पोस्ट
    कविता के साथ चित्र भी बहुत सुन्दर लगाया है.

    जवाब देंहटाएं

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)