मेरी डायरी के पन्ने....

सोमवार, 21 फ़रवरी 2011

ऐ दोस्त

जाने क्यों आज तेरी , याद मुझे आती है ।
तुझसे मिलने की तड़फ , दिल में वो उठाती है ।
जख्म तूने जो दिए , सब भर गए तेरे बिना ।
फिर नए किसी दर्द की , चाह मन में आती है ।
जब दोस्ती तुमसे पुरानी , कैसे जख्म कोई और दे ।
घाव जब तूने दिया , कैसे कोई गैर उसे कुरेद दे ।

चैन से सोये ना होगे , इस बीच में तुम भी कभी ।
नींद तुम्हे कहाँ आती थी , बिना घायल किये मुझको कभी ।
भूँख भी तुमको वहां , लग रही होगी कहाँ ।
मुझको तड़फता देख कर , तुम्हे भूँख लगती थी यहाँ ।
तुम भले ही भूल जाओ , दोस्ती अपनी पुरानी ।
मै  भुला सकता नहीं , दोस्ती की ये कहानी ।


© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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