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शनिवार, 19 फ़रवरी 2011

जिंदगी के रंग

जिंदगी है एक पर , रंग उसमे है हजार ।
एक पल में है ख़ुशी , एक पल में दुःख हजार ।
      एक ही होता है दिल , जो भेष बदलता रहता है ।
      कभी दरियादिल बन जाता , कभी पत्थर का हो जाता है ।
देखने में इन्सान सब , एक से लगते यहाँ ।
पर न जाने रूप कितने , है छुपे उनमे यहाँ ।
      रात-दिन करते हैं पूजा , पर पत्थर कहते भगवान को ।
      भूल कर सब दोष अपने , आरोपित करते भाग्य को ।
उलझने सुलझाने की , दावे जो करते यहाँ ।
वो ही उसे उलझाकर , हैं मजा लेते यहाँ ।
      जो आज मिलते हैं गले , वो काट लेते कल गला ।
      लेकर सपथ सच की यहाँ , सच को ही देते जला ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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