दोस्तों ,
आजकल जिंदगी की व्यस्तता कुछ ऐसी है कि अपनो के लिए ही समय नहीं मिलता है । फिर इसी व्यस्तता के क्षणों में ना जाने कितने अनजाने लोग हमारी जिंदगी में आते है , उनमे से कुछ याद रह जाते है कुछ भूल जाते है , कुछ अनजाने ही बने रहना चाहते है तो कुछ को हम अपना नहीं बनाते है । इसी के सन्दर्भ में अपने मान के भावों को व्यक्त करने का मेरा प्रयास है - "कुछ अनजाने चहरे,कुछ अनजाने लोग" ।
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कुछ जाने पहचाने चहरे है , कुछ अनजाने लोग यहाँ ।
कुछ को जान ना पाया मै , कुछ से होनी पहचान यहाँ ।
कुछ होते है कागज के फूल , जो बस पहचान निभाते है ।कुछ लोंगों को मै भूल गया, कुछ लोंगो को है भुला दिया ।
कितने अगणित चेहरों को, मन-मस्तिष्क से है मिटा दिया ।
कुछ होते है 'लटजीरे' से , जो चिपक साथ में जाते है ।
ऐसे जाने कितने ही , प्रतिपल मिलते लोग यहाँ ।कुछ अपनी पहचान बताते है, कुछ अपना सर्वस छुपाते है ।
कुछ दिल से गले लगाते है , कुछ नाटक करते जाते है ।
चहरे पर भाव छिपाकर , अनजाने बनते लोग यहाँ ।
किस किस से मै पहचान करू, किस किस की मै पहचान करू ।
कुछ नए अपरिचित लोग यहाँ, कुछ 'घाघ' अपरिचित लोग यहाँ ।
© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 विवेक मिश्र "अनंत" 3TW9SM3NGHMG
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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
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