लोग कहते हैं झूंठ के , पैर नहीं होते हैं ।
सच है, मैंने उसे घिसटते हुए देखा है ।
लोग कहते हैं झूंठ, सच के बल पर चलता है ।
झूंठ है, मैंने उसे सच को चलाते देखा है ।
लोग कहते हैं अंत में, सच की जीत होती है ।
सच है, खरगोस को मैंने रस्ते में सोते देखा है ।
ऊपर के शब्दों में मैंने, कुछ झूंठ कहा बाकी सच है ।
ये बात जान लो फिर भी तुम, झूंठ का हिस्सा इसमें कम है ।
तुमको जैसा भाए वैसा, तुम इसको स्वीकार करो ।
सच झूंठ अलग करने में, ना व्यर्थ कोई विवाद ।
क्या कहते है जग वाले , ना अपना समय बर्बाद करो ।
बस अपने मन की सुनकर तुम , अपने मन की बात करो ।
०५/०५/२००४
"चल पड़े मेरे कदम, जिंदगी की राह में, दूर है मंजिल अभी, और फासले है नापने..। जिंदगी है बादलों सी, कब किस तरफ मुड जाय वो, बनकर घटा घनघोर सी,कब कहाँ बरस जाय वो । क्या पता उस राह में, हमराह होगा कौन मेरा । ये खुदा ही जानता, या जानता जो साथ होगा ।" ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
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"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
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