मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 29 जुलाई 2014

तकनीकी का आया युग है..

देखो देश तरक्की पर है , तकनीकी का आया युग है ।
चोरी चोरी चुपके चुपके , कल तक बिकता था ईमान ।
आज बिक रहा है वो देखो , खुल्लम खुल्ला इंटरनेट पर ।
कल तक भाव लगा करता था , गिनकर खोखा पेटी को ।
आज बिक रहा है ईमान, नेतागण का लेकर नाम । 

देखो देश तरक्की पर है , तकनीकी का आया युग है ।
कल तक बिकते थे जनसेवक , सत्ता के तंग गलियारों में ।
आज बिक रहें है वो देखो  , खुल्लम खुल्ला इंटरनेट पर ।
पहले भाव बताते थे कुछ , सत्ता के घुसपैठ दलाल ।
आज लगाता भाव है देखो , इंटरनेट पर ओलेक्स डाट काम ।

देखो देश तरक्की पर है , तकनीकी का आया युग है ।
कल तक बिकती थी अस्मिता , लाल रोशनी की बस्ती में ।
आज बिक रही है वो देखो , खुल्लम खुल्ला इंटरनेट पर ।
पहले तो कुछ चुपके चुपके , लोग दलाली करते थे ।
आज कर रहा है सब खुलकर , इंटरनेट पर बाजी डाट काम ।

देखो देश तरक्की पर है , तकनीकी का आया युग है ।
कल तक रात अँधेरे में जो , लूट रहे थे राज पथो को ।
आज डकैती डाल रहे है  , खुल्लम खुल्ला इंटरनेट पर। 
कल तक गली मोहल्लो में जो , चोर सिपाही खेल रहे थे ।
आज खेलते हैं अब देखो , साइबर क्राईम डाट डाट काम ।

देखो देश तरक्की पर है , तकनीकी का आया युग है ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG 

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
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