मेरी डायरी के पन्ने....

बुधवार, 9 जुलाई 2014

कुछ कोरे कुछ भरे हुये…

जीवन के कुछ पन्ने , हम प्रतिदिन लिखते जाते हैं।
जीवन के कुछ पन्ने , फिर भी कोरे रह जाते हैं।
कुछ पन्नो पर हम प्रायः , लिखते पुनः मिटाते हैं।
कुछ पन्ने होते जीवन के , जो अमिट लेख बन जाते हैं।
कुछ पन्ने सुघड़ तरीके से , सुन्दरता से लिखे जाते हैं ।
कुछ पन्नो पर बस यूँ ही , आड़ा तिरछा गोदते जाते हैं।

कुछ पर हम ज़ीवन के , सुन्दर चित्र उकेरते जाते हैं ।
कुछ पर कई भयानक चेहरे , अपने से उभर कर आते हैं।
कुछ पर करते है लिपबद्ध , जीवन की संगीत लहरियां ।
कुछ पर अंकित हो जाती , दुख पीड़ा की कुछ घडियां ।
बस मे नही ये बात हमारे , अपने मन की लिखे तराने।
मत सोचों तुम इतना यारो , जीवन के हैं यही फ़साने।

 सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG 

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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