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रविवार, 23 मार्च 2014

क्यों आती है याद तेरी...

क्यों आती है याद तेरी , इतनी ज्यादा मुझको आज। 
आस-पास ही है तू मेरे , फिर क्यों मै इतना आज उदास । 
याद आ रहे है वो पल , जो हमने साथ बिताये थे । 
हाथो में था  हाथ तेरा , धड़क रहे थे दो दिल पास।  
ओंठो पर एक प्यारी सी , तपिश जो मैंने जानी थी। 
तेरे दिल की धड़कन को , बस मैंने अपनी मानी थी। 

खोया था जब ख्वाबों में , कोई जाग रहा था मेरे पास। 
फिर से जी पाऊँ वो पल , बस मन में मेरे यही है आस। 
इसी लिए मुझे आती है , हर पल तेरी इतनी याद। 
तेरे बिना हो रहा है देखो , मेरा दिल आज उदास। 
चुभ रहा कहीं अंदर मेरे , एकाकीपन का एहसास। 
आ जाओ फिर पास मेरे , क्यों तड़फ़ाते इतना आज। 

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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