ये सच है तुम्हारी यादों में ,
बिखर जाता हूँ कई बार।
ये भी सच है रह रह कर ,
साथ बिताये लम्हे याद आते है बार बार।
ये भी सच है कि याद आते ही ,
खो जाता हूँ उन्ही खट्टे मीठे लम्हो में हर बार।
मगर यह भी सच है ,
तुम भुला चुके हो अपना अतीत मेरे यार।
और जब यादों की एक छोर टूट जाए ,
या पुल की रस्सियों की एक तरफ गाँठ खुल जाए।
तो मुश्किल हो जाता है अकेले ,
यादों के पुल को बिना चोट खाये पार कर पाना।
बिखर जाता हूँ कई बार।
ये भी सच है रह रह कर ,
साथ बिताये लम्हे याद आते है बार बार।
ये भी सच है कि याद आते ही ,
खो जाता हूँ उन्ही खट्टे मीठे लम्हो में हर बार।
मगर यह भी सच है ,
तुम भुला चुके हो अपना अतीत मेरे यार।
और जब यादों की एक छोर टूट जाए ,
या पुल की रस्सियों की एक तरफ गाँठ खुल जाए।
तो मुश्किल हो जाता है अकेले ,
यादों के पुल को बिना चोट खाये पार कर पाना।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)