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सोमवार, 3 फ़रवरी 2014

यादों के पुल पर अकेले..

ये सच है तुम्हारी यादों में ,
बिखर जाता हूँ कई बार। 
ये भी सच है रह रह कर ,
साथ बिताये लम्हे याद आते है बार बार।
ये भी सच है कि याद आते ही ,
खो जाता हूँ उन्ही खट्टे मीठे लम्हो में हर बार। 

मगर यह भी सच है ,
तुम भुला चुके हो अपना अतीत मेरे यार। 
और जब यादों की एक छोर टूट जाए ,
या पुल की रस्सियों की एक तरफ गाँठ खुल जाए। 
तो मुश्किल हो जाता है अकेले ,
यादों के पुल को बिना चोट खाये पार कर पाना। 

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2014 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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