मेरी डायरी के पन्ने....

शनिवार, 4 जनवरी 2014

होना न होना..

कुछ होना या ना होना उतना महत्वपूर्ण नहीं है , जितना यह महत्वपूर्ण है कि आप को उसका पता है या नहीं।
क्योंकि यदि आपको कुछ होने का वास्तविक ज्ञान नहीं है तो वह होना ही व्यर्थ है , 
और यदि कुछ ना होने का आपको पता है , ज्ञान है , आभास है , तो वह ना होना भी आपके लिए महत्वपूर्ण है। 


सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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