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गुरुवार, 27 जून 2013

पल दो पल का ये जीवन ...

पल दो पल का साथ हमारा , पल में बिछुड़ ही जाना होगा ।
पता नहीं कब फिर इस जग में , लौट कर हमको आना होगा ।
लौट कर फिर जब आयेंगे , ये साथ कहाँ फिर पाएंगे ?
बदल चुकी होगी दुनिया , बिसर चुकी होंगी सब यादे ।
दूर देश से आते आते , फिर तेरे घर तक जाते जाते ।
रंग रूप बदल ही जायेगा , कोई कैसे पहचान में आएगा ?

कोस कोस पर बदले पानी , चार कोस पर बदले बानी ।
जाने क्या तब भाषा होगी , जाने क्या परिभाषा होगी ?
हो सकता है शब्द नए हो , या प्रचलन में अर्थ नए हो ।
बिसर चुकी होंगी जब यादे , बिखर चुकी होंगी बुनियादे ।
विलुप्त हो चुके होंगे रिश्ते , बस अभिलेखों में होंगे किस्से ।
जीवन होगा कोई नया सा , नहीं मिलेगा पिछला हिस्सा 

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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