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शुक्रवार, 14 जून 2013

बीता हुवा कल...

सिलसिले जो आपने , शुरू बेबफाई के किये ।
बनकर वो काँटे नुकीले , राहों में मुझको मिले ।
आपने सोंचा भी है , हम क्यों वफ़ा करते रहे ?
यार भले नाखुश रहे , याराना तो चलता रहे ।
आप भले नाराज रहे , दूर भले ही आज रहे ।
हमको वचन निभाना है , संग चलते जाना है।

यदि समझ सको बात मेरी , फिर शुरु करो आज अभी ।
दिल में चुभोये तीरों पर , तुम वापस ले लो आज अभी ।
वो बदकिस्मत होते है , जो अपनो की वफ़ा ना पाते है ।
लेकिन उनसे ज्यादा वो , जो साथ निभा नहीं पाते है ।
मत बाँधो दिल के भावो को , अविरल इनको बहने दो ।
भले काँटो  से नाराज रहो , पर फूलो को तो मिलने दो ।


तुम आज भले ना साथ चलो , रूठे ही मुझसे आज रहो ।
मत छोड़ो कुछ मुलाकातों को , रिस्तो को तो चलने दो ।

 सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

  1. किसी भी रिश्ते को दिल से निभाने के लिए मन में बस यही भाव होने चाहिए सार्थक रचना...

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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