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बुधवार, 6 जून 2012

तुम्हे एहसास तो होता होगा ही...

प्रिये सच क्या है मुझे पता नहीं,
पर मेरे दिल से माना सदा यही । 
तुम्हे एहसास तो होता होगा ही ,
क्या कहना चाहा मैने तुमसे सदा ।
कभी कहा उसे मैने शब्दों में ,
कभी समझाया तुम्हे संकेतो मे ।


कभी कहकर भी वो कहा नहीं ,
जो कहने को व्याकुल रहा अभी ।
कभी तुम्हे सुनाया कोई कहानी ,
कभी पहेलियो में उलझाया हूँ ।
कभी कह्कर भी चुप रहता हूँ ,
कभी प्यार मे क्रोध जताया हूँ ।

कभी स्वयं रूठा पर तुम्हे मनाया ,
कभी तुम रुठे और मै झल्लाया हूँ ।
कुछ भी किया हो मगर सदा,
 तुम्हे अपना माना मैने सदा ।
क्या समझ सके हो तुम मेरे दिल को ,
या सब प्रयत्न व्यर्थ ही करता आया हूँ 
जो कहा अभी सब तुम्हे प्रिये ,
क्या समझ मे कुछ तुम्हे आया है ।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर भाव है........

    सादर.

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  2. उन्हें पता तो सब होता है पर फिर भी अनजान बने रहते हैं वो ... सुनना चाहते हैं आपसे ...

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ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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