मेरी डायरी के पन्ने....

मंगलवार, 29 मई 2012

चुपचाप गुजरता जाता हूँ…

जज्बातों की भँवर थी ,
मन मे थी कसक कोई ।
बहता जा रहा था उसमे ,
सूखे तिनके की तरह कोई ।
देखा जो किनारे खडे तुमको ,
याद आया कितना अजीज था कोई। 
बहा ले जाता तुमको भी लहर मे अपने ,
याद आ गया अचानक तेरा कहा शब्द कोई ।
यूँ तो सब कुछ कहा है तुमसे ,
फ़िर भी लगता सब अनकहा है तुमसे ।
सोंचता हूँ जो मिलो कह दूँ अब से ,
डरता हूँ खफ़ा ना हो जाओ तुम फ़िर से ।
मै तो डूबता उतराता बह रहा हूँ खुद से ,
एसा ना हो कही डुबा ना दूँ तुम्हे फ़िर से ।
यही सोंच कर चुपचाप गुजरता जाता हूँ ,
बिना कुछ बोले तेरी यादों को समेटे जाता हूँ ।
 सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
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पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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