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गुरुवार, 31 मई 2012

तेरा ख्याल…

नींद आंखों मे उतरने लगी है मगर ,
पलके बंद हो तो कैसे उलझा है दिमाग ।
दिल तो कहता है सो जाओ अब चैन से ,
दिमाग कहता है कर लो थोडा हिंसाब ।
हल्की सी भी आहट से खुल जाती पलके ,
है खटखटाते मस्तिष्क को कितने विचार ।
जितना तुझको भुलाने की कोशिश मै करता ,
उतना ही मन मे आता है फ़िर तेरा ख्याल ।
सोंचता हूँ सीख लूँ अब खुली पलको से सोना ,
सोया समझ धोखे से नही लोगे मेरी जान ।
अटक जाती है मन मे बात छोटी हो या बडी ,
विश्लेषण करना है आदत बुरी मेरी जान ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
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पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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