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रविवार, 11 मार्च 2012

अभिनय सम्राट..

कुछ लोग है जीते मंचो पर , तरह तरह के भावो को ।
तरह तरह के चरित्र निभाते , जीवंत सभी को कर जाते ।

निश्चित ही उनके अभिनय में , रचा बसा होता है जीवन ।
तभी श्रेष्टतम कहलाकर वो , सम्मान सभी से बरबस पाते ।
उनके निभाए चरित्र सभी के , अंतरमन में है बस जाते ।
उनके कहे हुए शब्दों से , कुछ नए मानदंड बन जाते ।

श्रेष्ट है उनका अभिनयपन , श्रेष्ट है उनकी कला साधना ।
लेकिन कहा नहीं जा सकता , उनको अभिनय सम्राट यहां ।
वो पद ऊँचा है और उसके , अभिनय मापदंड भी ऊँचे है ।
फिर भी कुछ लोग यहाँ पर , उसके आस पास ही जीते है ।
ये लोग निरंतर करते है , अपने जीवन में अभिनय ।
तरह तरह के लोगो से , रंग रूप बदल कर मिलते है ।

पल पल में है बदला करते , इनके मन के भाव सभी ।
इनके अपने अरमानो के , आगे व्यर्थ हैं लोग सभी ।
मूर्ख समझते है ये जग को , अपने अभिनय कला के आगे ।
तरह तरह के चरित्र निभाते , ढोंग निरंतर करते जाते ।

सच और झूंठ का घालमेल कर , अपने को ये श्रेष्ट कहाते ।
निश्चित ही ये जन्म से ही , अभिनय सम्राट है बनकर आते ।


होली के रंगों के साथ...

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

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आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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