मेरी डायरी के पन्ने....

शनिवार, 31 दिसंबर 2011

तारतम्य कुछ टूट गया..

तारतम्य कुछ टूट गया ,
या लय ही शायद छूट गया  ।

या फिर शायद भूल गए हम ,
मन में आते बोलो को ।

शायद अब तक सीख ना पाए ,
शब्दों की परिभाषा हम ।

या फिर शायद समझ सके ना ,
मन के अपने भावो को हम । 

जो भी हो पर रूठ गया है ,
मन का मेरा भाव कोई....।

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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