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मंगलवार, 20 दिसंबर 2011

आसान बहुत है रिश्ते जोड़ना...

मत याद करो मुझको तुम , मत एहसान करो मुझ पर तुम ।
यदि अपने से मै याद ना आऊ , मत खोजो मेरे कहने पर तुम ।
कब तक जबरन याद करोगे , यू कब तक मजबूर रहोगे तुम ।
बिना स्वतः इच्छा के भाई , यू कब तक साथ चलोगे तुम ।
हर रिश्ता होता है बंधन , जिसे हमें निभाना होता है ।
गम और ख़ुशी के पल को , हमें साझा करना होता है ।
अपनो को अपनेपन का , सदा एहसास करना होता है ।
यू आगे बढ़ कर अपनो का , हमें साथ निभाना होता है ।
कुछ जन्मजात के रिश्ते है , कुछ बनते दिल के रिश्ते है ।
कुछ मोल-भाव के रिश्ते है , कुछ बिना मोल के रिश्ते है ।
आसान बहुत है रिश्ते जोड़ना , मुश्किल उन्हें चलाते जाना ।
अपनो का दिल तोड़े बिना , जीवन भर साथ निभाते जाना ।
सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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