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शुक्रवार, 15 जुलाई 2011

मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूँ.....

लीजिये कई दिनों के बाद आज पुन: आप सभी के समक्ष गोविन्द जी के सौजन्य से एक रचना प्रस्तुत है...

मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूँ
कोई जान नहीं पायेगा
ये राज़ तो मेरे मरने के साथ ही खत्म हो जायेगा।

ख़त्म होऊंगा मैं और ये राज़
खत्म न होगा मेरे दिल का प्यार
मेरा प्यार तो अमर होके सदा तुम्हरे साथ रह जायेगा।

सजा लेना तुम अपना आशियाँ
कर लेना अपनी दुनिया आबाद
कम से कम मेरे रूह को चैन मिल जायेगा।

गम न करना मेरे जाने पे
आंसू न बहाना याद आने पे
मुस्कुरा देना तुम देखकर में भी कही मुस्कुराऊंगा।

तुम मिले किसी और के होकर
किस्मत ने ही दी है ठोकर
मेरा प्यार मेरे दिल का राज़ बना रह जाएगा।
मैं तुम्हे कितना प्यार करता हूँ
कोई जान नहीं पायेगा.............

सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2011 © ミ★ गोविन्द पांडे ★彡

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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