मेरी डायरी के पन्ने....

सोमवार, 4 जुलाई 2011

माननीय जन-प्रतिनिधगण..

आज जब विश्व के कई  देशो में तरफ जन-आन्दोलन की भरमार है , जनता और जागरुक होती जा रही है , अपने अधिकारों के लिए धरना , प्रदर्शन और क्रांति के लिए उतावली हुयी जा रही है... तब आईये देखते है  की विभिन्न देशों की जनता के द्वारा चुने गए माननीय जन-प्रतिनिधगण पार्लियामेंट में विचारो की स्वतंत्रता के नाम पर किस प्रकार अपनी आवाज बुलंद करते है और मतान्तर होने पर दूसरो को किस प्रकारजबाब देते है...

 ये है महान रोमन साम्राज्य के इटली का नजारा 

 ये है शांति के मसीहा जापान के प्रतिनिध 

 ये है झगडा करने के माहिर मैक्सिकन

ये जन क्रांति के प्रणेता रूस  की संसद

 साऊथ कोरिया 

 ताइवान

 टर्की 

उक्रेन 

और ये हैं भारत के भाग्य विधाता 
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और अब देखिये इन सबसे अलग देश , जिससे हम अपनी तुलना करने की हमेशा सोंचते है ..


 महान चीन 
भले ही यहाँ संसद में बोलने की आजादी न हो मगर सोने की भरपूर आजादी है....!!

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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