"चल पड़े मेरे कदम, जिंदगी की राह में, दूर है मंजिल अभी, और फासले है नापने..। जिंदगी है बादलों सी, कब किस तरफ मुड जाय वो, बनकर घटा घनघोर सी,कब कहाँ बरस जाय वो । क्या पता उस राह में, हमराह होगा कौन मेरा । ये खुदा ही जानता, या जानता जो साथ होगा ।" ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
मेरी डायरी के पन्ने....
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गुरुवार, 7 अप्रैल 2011
ऑनलाइन पेड सर्वे ???
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स्वागत है आपका मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें । आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ? आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है। पर तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें । अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें । आभार.. ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡 "अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
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"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "
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