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सोमवार, 28 मार्च 2011

रिश्ते...नाते

'अनंत' तुम्हे समझाता हूँ , 
थोड़ा सा चालाक बनो ।
है दुनिया अपने मतलब की ,
ज्यादा न बेताब बनो ।
यहाँ खून के रिश्ते भी ,
अपना मतलब ढोते हैं ।
बिना किसी मतलब के यहाँ ,
कब कोई रिश्ते होते हैं ।
है हाल बुरा सम्बन्धों  का , 
नातों को सब भूले हैं ।
ठोक-बजाकर,मोल-भाव कर ,
रिश्तों को सब जीते हैं ।
दिल में कुछ चेहरे पर कुछ ,
भाव सदा सब रखते हैं ।
भूले-भटके गलती से ही ,
कुछ रिश्ते सच्चे होते हैं ।
वो भाग्यवान होते हैं जिनको ,
सच्चे रिश्ते मिलते हैं ।
रिश्तो के बाजार में जिनको ,
काँच में हीरे मिलते हैं ।


© सर्वाधिकार प्रयोक्तागण 2010 ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡3TW9SM3NGHMG

2 टिप्‍पणियां:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

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