मेरी डायरी के पन्ने....

शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010

ओशो...

"शायद मुझे अब तक सबसे अधिक गलत समझा गया है,
लेकिन इसका मुझपर कोई असर नहीं।
कारण केवल इतना  है कि
सही समझे जाने की कोई जिज्ञासा नहीं।
यदि वे सही नहीं समझते तो
यह उनकी समस्या है, यह मेरी समस्या नहीं है
यदि वे गलत समझते हैं तो
यह उनकी समस्या है, उनका दुख है।
मैं अपनी नींद नहीं खराब करूंगा
यदि लाखों लोग मुझे गलत समझ रहे हैं।"

ओशो

1 टिप्पणी:

स्वागत है आपका
मैंने अपनी सोच तो आपके सामने रख दी,आपने पढ भी ली,कृपया अपनी प्रतिक्रिया,सुझावों दें ।
आप जब तक बतायेंगे नहीं.. मैं जानूंगा कैसे कि... आप क्या सोचते हैं ?
आपकी टिप्पणी से हमें लिखने का हौसला मिलता है।
पर
तारीफ करें ना केवल मेरी,कमियों पर भी ध्यान दें ।
अगर कहीं कोई भूल दिखे,संज्ञान में मेरी डाल दें ।
आभार..
ミ★विवेक मिश्र "अनंत"★彡
"अगर है हसरत मंजिल की, खोज है शौख तेरी तो, जिधर चाहो उधर जाओ, अंत में फिर मुझको पाओ। "

(हिन्दी में प्रतिक्रिया लिखने के लिए यहां क्लिक करें)